लेखनी प्रतियोगिता -हृदय

हृदय दग्ध है हुआ रिक्त है
दिल का आधा हिस्सा खाली
धड़कन देखो रुकी हुई है
जब से छोड़ गयी है आली....

एक अकेला राही पथ पर
अनजानी सी बाट निराली
निशा शेष है विजन देश है
विभावरी घिर आयी काली....

प्यार हमारा धुआँ धुआँ
दिल की जब से जली पराली
सफर रहेगा जारी किन्तु
तू पात पात में डाली डाली....

किसी मोड़ पर मिल जाओगी
आश हृदय ने यही है पाली
घना अंधेरा मिट जायेगा
आयेगी जब मिलन उजाली....


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3 Comments

बहुत ही बेहतरीन और भावमय अभिव्यक्ति

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Abhinav ji

16-Dec-2022 08:19 AM

Very nice 👍👍👍

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Gunjan Kamal

15-Dec-2022 11:33 PM

Nice

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